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गाली लौटा दी hindi dharmik story



एक बार गौतम बुद्ध राजगृह के वेणुवन नमक स्थान में ठहरे थे | एक ब्राम्हण था जिसका कोई संबंधी बौध भिक्षु बन गया गया था | इसलिए वह बुद्ध के पास जाकर उनको गालियां  देने लगा|

भगवान बुद्ध उसकी गालियां  शांत मन से सुनते रहे | ब्राम्हण को ये देखकर बार आश्चर्य हुआ |
उसने बोला मैंने तुम्हें इतनी गालियां  दी तुम्हें बुरा नहीं लगा| तब भगवान बुद्ध ने उससे पूछा , जब तुम्हारे घर कोई अतिथि  आता है तो तुम  कई प्रकार के व्यंजन बनाते हो ?
हा बनाता हूँ |
 और अगर वो अतिथि उसे न खाए तो वो किसके पास रहता है,
 तो ब्राम्हण ने  कहा मेरे पास ही.|

उसी प्रकार जो गालियां  तुमने मुझे दी वो मेरे उपयोग की नहीं थी तो वो मैंने नहीं ली | अतः वो गलियां तुम्हारे पास ही रह गयी

ये सुनकर ब्रम्हां बहुत लज्जित हुआ और उसने क्षमा मांग ली.


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