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Steve jobs, India, and The Apple



Steve jobs का नाम सामने आते ही लगन , मेहनत और विस्वास से उभरे
 एक ऐसे व्यक्ति की छवि आती है जिसने सच में दुनिया बदली इसमें कोई शक नही कर सकता ,आज के इस लेख में Steve के जीवन पे भारत  के
 असर को समझेंगे , जानेंगे  कैसे एक आदमी ने बुरे दिनों को भी  अपने लिए एक  सुनहरा अवसर समझा और और जैसे सूर्यास्त के बाद सूर्योदय 
 पर सूर्य एक अलग लालिमा लिए निकलता है और  से पूरी सृष्टि को प्रकाशमय करता है। उसी प्रकार स्टीव बुरे दिनों से बहार आये और पूरी दुनियां को अपने प्रकाश से सराबोर कर दिया। पहले  जानते हैं स्टीव के भारत कनेक्शन कि।
बात सन 1974 की है जब स्टीव भारत अपने कुछ कॉलेज के दोस्तों के 
साथ आये। दिल्ली हवाई अड्डे पे उतरने के बाद वो  एक सस्ते होटल में रुके। उन्हें हरिद्वार जाना था क्यूं की उस  हरिद्वार में कुम्भ मेला लगा हुआ था। जब वो कुम्भ पहुंचे तो वहां श्रद्धा से भरपूर लोगो को देखा जो सिर्फ एक नदी  स्न्नान करने  कई कई मील दूर से आये थे। उन्हें ये सब देख कर'थोड़ा आश्चर्य  भी होता क्यूं  की ये पश्चिम से थोड़ा अलग था जहां लोग सब  भुला के बस भागे जा रहे थे ।  यहाँ हर किसी के चेहरे पर उन्हें अलग सी मुश्कान नजर आई कुछ नही रहते हुए भी लोगो के मुख पर संतुष्टी  का भाव युवा स्टीव को अंदर तक झकझोर गया। फिर उन्होंने उत्तराँचल के कैंची नमक स्थान पर नीम करौली बाबा के आश्रम  जाने का



विचार बनाया। जिनके बारे में उंन्होने पहले से सुन रखा था। उंन्होने सुना था कैसे भारत  संतों में अशीम आध्यात्मिक ऊर्जा रहती है जो सामने वाले के सरे कष्ट हर लेती है और मन एवं आत्मा को एक अलग सी संतुष्टि प्रदान करती है. जब वो आश्रम पहुंचे तो उन्हें पता चला की उन्होंने में आने में देर दी क्यूं  की बाबा का देहांत पिछले सितमबर को ही हो गया (september 1973) . 
उन्होंने कुछ दिन वह बिताया। उन्होंने देखा भक्तजन प्रशाद स्वरुप सेब लेकर आते हैं। तो उन्होंने ने इसका कारण पूछा तो लोगों ने बताया बाबा



को सेब बहुत पसंद था। और आपको पता है , कहा जाता है apple कम्पनी का लोगो भी यही से आया । फिर वहा  कुछ दिन बिताने के बाद  जब स्टीव वापस गए तो बिलकुल ही अलग स्टीव जॉब्स जो  अध्यात्यमिक ऊर्जा से भरपूर थे । उन्होंने अपने बाल छिलवा लिए थे कितने समय तक तो सिर्फ भारतीय कपडे ही पहनते। फिर उन्हों ने नई   ऊर्जा   के साथ एप्पल कंप्यूटर की स्थापना की जो की  सबसे बड़ी  कंप्यूटर और मोबाइल निर्माता कम्पनी है. 
एक समय ऐसा आया जब स्टीव को apple से निकल दिया गया जिसे उन्होंने ने खुद बनाया था।  इसके बाद भी उन्हें कोई अफ़सोस नही था क्यंकि अब उनके अंदर किसी सफल व्यक्ति का अहंकार नही वरण एक शुरुआती कारोबारी का एहसास और आजादी थी। उन्होंने अपनी नई  कंपनी next सुरु की जिसे बाद में apple ने खरीद लिया और वो वापस apple गये और apple को और   भी ज्यादा बुलंदियों पे पहुचाया। स्टीव आज हमारे बीच नहीं हैं लेकिन उनकी दी गयी प्रेरणा आज भी कइयों को राह दिखती है। 
                                                                                                                              धन्यवाद



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