ads

Breaking News

ईर्ष्या






महाराज कनकसेन एक बहुत अच्छे और प्रजावत्सल राजा थे, अपनी प्रजा का संतान की तरह उन्होंने पालन किया था, पर अब वे चिंतित थे ।
और चिंता की वजह ये थी कि उनके कोई संतान नही थी, और अब उनके पीछे उनके राज्य का क्या होगा, यही चिंता उन्हें खाये जा रही थी ।




एक बार की बात है एक सन्यासी नगर में आये तब राजा ने उनसे अपनी चिंता बताई । सन्यासी ने उन्हें एक पंख दिया और कहा कि राजन, ये दिव्य पंख है, आप अपने महल के झरोखे से इस पंख को नीचे फेंकना, ये पंख जिसके हाथ मे आ जाये, वही आपजे अगला उ
त्तराधिकारी होगा । राजा ने घोषणा करवा दी, दूसरे दिन सभी लोग राजा के महल के नीचे खड़े हो गए, बड़ी भारी भीड़ लग गयी थी, हर कोई राजा बनना चाहता था । राजा ने वो पंख नीचे फेंक दिया , और स्वयं अपने सिंहासन पर जाकर इंतजार करने लगे अपने राज्य के उत्तराधिकारी का । काफी देर हो गयी पर कोई नही आया , महाराज को संदेह हुआ ।
महाराज खुद उठकर झरोखे से नीचे देखने लगे तब आश्चर्यचकित रह गए , वो पंख तो हवा में ही तैर रहा था ।
न न न , वो कोई चमत्कार नही था, नीचे से लोग उसे फूंक मार मार कर हवा में बनाये रखे थे, अगर हम नही राजा नही बन पाए तो कोई बात नही, पर कोई दूसरा भी नही बनना चाहिए ।



No comments