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जब साथ हो प्रभु का hindi adhyatmik kahani


एक कृष्ण भगवान का भक्त भगवन की बहुत लगन से सेवा पूजा करता था ,वो  एक दिन भगवान से  बोला प्रभु मैं आपकी इतनी सेवा करता हूँ पूजा करता हूँ तो प्रभुजी कम  से कम एक बार तो दर्शन दीजिये अगर दर्शन नहीं तो कुछ ऐसा कीजिये जिससे मुझे आभास हो की आप मेरे साथ हैं। तो भगवन ने उसे कहा ठीक है अब से तुम जब समंदर किनारे टहलोगे  तुम्हें 4 पैरों के निशान दिखाई देंगे दो तुम्हारे होंगे और दो मेरे। ऐसा ही हुआ जब वो समंदर किनारे चलता तो तो उसे चार पैरों के निशान दिखाई देते। उसे ये देख के काफी अच्छा लगता। रोज वो ऐसा करने लगा।
कुछ दिनों बाद अचानक उसके साथ सब बुरा हुने लगा उसका व्यापार डूब गया ,उसके सभी मित्रों, परिवार जनों ने उसका साथ छोड़ दिया । वो समंदर किनारे चलता तो  उसे सिर्फ दो ही पैर दिखाई देते उसे इस बात से बहुत तकलीफ हुई की बुरे वक्त में तो लोगों ने मेरा साथ छोड़ा ही भगवान ने भी  छोड़ दिया।
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कुछ  दिनों बाद फिर सब कुछ ठीक होगया उसका व्यपार भी चलने लगा  मित्र भी आगये  उसे दो की जगह' चार पैरों  के निशान दिखाई देने लगे  तो उसने भगवन से कहा की  प्रभु मुझे इस बात का बुरा नहीं लगा की मेरे अपनों ने बुरे वक्त में मेरा साथ छोड़ा  मुझे इसबात का बुरा लगा की प्रभु   मेरा साथ छोड़ दिया ।  तब भगवान ने कहा  उस समय जो   निशान तुम्हें दिखाई देते थे वो तुम्हारे नहीं मेरे थे  क्यूंकि मैंने   तुम्हें गोद में उठा रख था   जब तुम्हारा बुरा वक्त समाप्त होगया तो मैंने  गोद  से निचे उतर दिया।  



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