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Story Of N.R Narayana murthi and Infosys in hindi


मेहनत और लगन की सीढ़ी  से सफलता के ऊँचे मुकाम पे पहुंचे हुए आदमी का नाम है N.R Narayana murthi  ( नागवार रामाराव नारायण मूर्ती ).इनको  ये मुकाम पुश्तैनी नहीं मिली इन्होने जो कुछ भी कमाया अपने बल बुते  पे कमाया।
बेहद ही गरीब परिवार के नारायण मूर्ती बेहद ही विलक्ष्ण प्रतिभा के स्वामी थे. इन्हें इंजीनियर बनाने की तम्मना तो थी ही। लेकिन पैसे की कमी थी।  वो उस समय मैसूर विश्व विद्यालय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग कर रहे थे जहाँ डॉ कृष्णा मूर्ति से उनका परिचय हुआ   कहते हैं न अगर आप सच्चे ह्रदय से कोई तम्मना करें तो ईश्वर जरूर पूरी करता है।डॉ कृष्णा मूर्ति  उसी विश्व विद्यालय के शिक्षक थे  डॉ  कृष्णा मूर्ति ने  इनकी प्रतिभा को पहचाना और इनकी आर्थिक मदद की। फिर इन्होने आई.आई.टी  कानपुर से m-tech की डिग्री ली।
    पढाई पूरी होने के बाद इन्होने पुणे  के  पटनी कंप्यूटर सिस्टम  में नौकरी पकड़ ली । लेकिन इनके अंदर अपना व्यवसाय करने की तीव्र इक्षा थी। तो इन इन्होने अपनी पत्नी सुधा से 10000 रूपये लेकर और अपने 6 दोस्तों के साथ मिलकर इनफ़ोसिस की स्थापना मुंबई के एक फ्लैट से की। और आज हम सभी जानते हैं इनफ़ोसिस कितनी  बड़ी  कंपनी बन  गयी है।


Story Of Infosys in hindi

एक  शाम नारायण  मूर्ती अपनी धर्म पत्नी सुधा से कहते हैं की वो  अपनी खुद की सॉफ्टवेयर कंपनी खोलना  चाहते है। सुधा जी को थोड़ा ये आश्चर्यजनक लगा क्यूं की एक नौकरी को छोड़  कर बिज़नेस करना थोड़ा असहज था। और नारायण को  कोई  बिज़नेस का अनुभव भी नही था। लेकिन वो उनके अंदर उनके सपने को देख सकती थी। नारायण के पास सपने तो थे लेकिन पैसे नही थे।  तो सुधा जी ने अपने बचाये हुए पैसों से 10000 रूपये उनको दिए। और उनको कहा की तुम्हारे पास अपने अपने सपने को सच करने के लिए बस तीन साल हैं इस बीच मैं घर संभल लुंगी। लेकिन याद रखना बस ३ साल। 
तब नारायण  मूर्ति ने अपने 6 और दोस्त (K. Dinesh, Nandan Nilekani ,  Ashok Arora ,sd shibulal,  Kris Gopalakrishnan , N. S. Raghavan )  के साथ मिलकर  माटुंगा में N. S. Raghavan के घर से इनफ़ोसिस की स्थापना की। उनको उनका पहला client "MICO" 1983 में बैंगलोर में  मिला। सभी दोस्तों खूब मेहनत की और 10000 रूपये से सुरु की हुई कंपनी को 1000 कड़ोर की कंपनी बना दी।कंपनी ने कई इतिहास रचे लेकिन 1999 में जब इनफ़ोसिस अमेरिकी शशेयर बाजार NASDAQ  में लिस्ट हुई तो ये भारत की पहली कंपनी बनी। नारायण मूर्ति 1981 से 2002 तक इनफ़ोसिस के कार्यकारी निदेशक रहे। फिर उन्होंने इसकी कमान अपने सहयोगी नंदन निलेकणि को दे दी। और वो मार्गदर्शक के रूप में रहे।  इनफ़ोसिस  का करोबार बीते साल करीब 30000 कडोर रूपये का था। 






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